कब है महाशिवरात्रि २०२० एवं क्या है शिवरात्रि की कथा?
महा शिवरात्रि, जिसका अर्थ है- "शिव की सबसे बड़ी रात्रि", हिन्दुओं का बहुत बड़ा पर्व हैं| यह पर्व हिंदुस्तान एवं नेपाल, दोनों जगह बड़े हर्शोलास से बनाया जाता है| हिंदी पंचाग के हिसाब से ईशा महाशिवरात्रि, माघ के महीने में अमावस्या के दिन बनायी जाती हैं| शिवरात्रि का महत्त्व हिन्दू समाज में काफी ज्यादा है, क्योंकि हिन्दू समाज के सबसे बड़े भगवान शिव जी हैं|
इस साल महा शिवरात्रि २०२०, २१ फरवरी की हैं| महा शिवरात्रि से जुड़ीं कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिसमे से एक के अनुसार एक बार एक शिकारी को शिकार करने हेतु कोई शिकार नहीं मिला, तब वह बेल के पेड़ पर बैठकर शिकार का इंतजार करने लगा| यही नहीं, उसने हिरन को आकर्षित करने के लिए, पेड़ पर मौजूद बेल के पत्ते जमीन पर फेकें| वह इस बात से अज्ञात था की उस पेड़ के निचे शिवलिंग भी हैं| ऐसा माना जाता है की उस शिकारी के धैर्य और बेल पत्तर के पत्तो से प्रसन्न होकर, स्वयं शिव जी वहाँ प्रकट हुए और शिकारी को सद्बुद्धि का आशीर्वाद दिया| माना जाता है की उस दिन के बाद से शिकारिओं ने मॉस खाना छोड़ दिया|
तत्पश्चात, एक और मानयता के हिसाब से जब पृथ्वी विनाश से जूझ रही थी, तब देवी पार्वती ने शिव जी के साथ मिलकर धरती को बचाने का प्रण लिया| इस प्रण के अंतर्गत जब देवी पार्वती ने पूजा-पाठ किया, तब उस से प्रसन्न होकर स्वयं शिव जी पृथ्वी को बचाने के लिए तैयार हुए| परन्तु उन्होंने बस एक शर्त रखी की पृथ्वी पर मौजूद हर मनुष्य उनकी पूजा, पूरी आस्था और श्रद्धा से करेगा| उसी दिन से, माघ माह की अमावस्या की रात्रि- शिव रात्रि के नाम से जानी जाने लगी|
कुछ लोक कथाओं के हिसाब से, माघ के महीने की अमावस्या को शिव रात्रि इसलिए भी मनाए जाती है क्योकि एक बार देवी पार्वती ने शिव जी से पूछा था की उनका सबसे पसंदीदा दिन कौन सा है? इसके जवाब में शिव जी ने कहा था की आज का दिन, अर्थात माघ के महीने की अमावस्या का दिन और तभी से इस दिन शिव रात्रि बनाए जाने लगी|
शिवरात्रि हिन्दुओ का सबसे बड़ा त्यौहार है, एवं इस पर्व को उत्साह पूर्वक बनाया जाता है| इस दिन शिव लिंग की पूजा-अर्चना कर, शिव लिंग पर बेल पत्तर निर्मित जला चढ़ाकर, जल अभिषेक किया जाता है अवं व्रत रखा जाता हैं| क्योंकि यह त्योहार शिव भक्तो के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, इसलिए भारत भर के लगभग सभी मंदिर, इस दिन फूलों अवं लाइटों से भरपूर सजाए जातें हैं|
शिव रात्रि के दिन, शिव जी का जलाभिषेक श्रद्धा पूर्व करने से, एवं उपवास रखने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं एवं भाग्य उनका साथ देता हैं| यही नहीं, उज्जैन के महा कालेश्वर मंदिर में शिव रात्रि की विशेष पूजा का प्रयोजन किया जाता हैं| बड़ी-बड़ी झांकिया निकाली जाती हैं, पूजा-अर्चना की जाती हैं, एवं प्रसाद रूप में भांग बांटीं जाती हैं|
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